China Ukraine Quad News :यूक्रेन का हाल देख क्या भारत को धमका रहा चीन? अचानक क्यों बढ़ा ड्रैगन का हौसला

Aman
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China Ukraine Quad News :यूक्रेन का हाल देख क्या भारत को धमका रहा चीन? अचानक क्यों बढ़ा ड्रैगन का हौसला

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China Ukraine Quad News : भारत समेत चार देशों का समूह क्वॉड चीन को इतना नागवार गुजरा है कि वह यूक्रेन संकट का उदाहरण देकर भारत समेत एशियाई देशों को धमकाने लगा है। चीन के विदेश मंत्री पद की रेस में सबसे आगे चल रहे नेता ने धमकी देते हुए कहा है कि क्वॉड समूह और एशिया प्रशांत क्षेत्र में अमेरिकी नीति उसी तरह से खतरनाक जैसे नाटो का विस्तार।


हाइलाइट्स

  • क्वॉड समूह में भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया शामिल
  • हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अपनी दादागीरी पर अंकुश से बौखलाया चीन
  • नाटो और यूक्रेन का जिक्र कर क्या भारत को धमकी दे रहा चीन?

नई दिल्ली: सुपरपावर अमेरिका की चेतावनी को धता बताकर जब रूस ने यूक्रेन (Russia Ukraine War) पर हमला किया तो भारत को अलर्ट हो जाने की बातें कही गईं। यह कहा जाने लगा कि रूस ने यूक्रेन के खिलाफ जैसा किया, वैसी ही हरकत चीन भी भारत के खिलाफ कर सकता है। अमेरिका समेत दुनिया के देश रूस के हमले को रोक नहीं पाए। इससे चीन के हौसले बढ़ सकते हैं। एक्सपर्ट यह भी कह रहे हैं कि अगर वास्तविक नियंत्रण रेखा के आसपास कब्जा करने की नीयत से चीन की सेना (China News) पूर्वी लद्दाख जैसी कोई हरकत करती है तो दुनिया का कोई देश खुलकर मदद को सामने नहीं आएगा। अभी रूस के हमले थमे नहीं हैं और चीन के तेवर बदलते दिख रहे हैं। जी हां, यूरोप के हालात देख उसने एशिया को धमकाना शुरू कर दिया है। खास बात यह है कि धमकी जैसा रवैया चीन के उस शख्स ने दिखाया है जो भारत में राजदूत रह चुका है। ली यूचेंग इस समय चीन के उपविदेश मंत्री हैं और इस बात की पूरी संभावना है कि अगले साल वह देश के विदेश मंत्री बन जाएंगे। तो क्या यूक्रेन संकट देखकर चीन भारत को धमकी दे रहा है?

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यूक्रेन संकट हमें आइना दिखाता है कि हम एशिया और हिंद-प्रशांत क्षेत्र के हालात का आकलन करें.... धारा के विपरीत जाकर अमेरिका की हिंद-प्रशांत रणनीति का पालन करना समस्या को और भड़काएगा। अगर बिना रोकटोक के इसे होने दिया गया तो बहुत गंभीर परिणाम होंगे।

ली यूचेंग, चीन के उप विदेश मंत्री


यूक्रेन का उदाहरण क्यों दे रहा चीन?

दरअसल, पिछले करीब एक महीने से रूस की सेनाएं यूक्रेन पर भीषण बमबारी कर रही हैं। अमेरिका, यूरोपीय संघ समेत दुनियाभर के देश उसके समर्थन में खड़े तो दिख रहे हैं लेकिन उनके सहयोग से यूक्रेन को कोई राहत नहीं मिल रही है। अमेरिका खुद को दुनिया का सबसे शक्तिशाली देश बताता है लेकिन सिवाय प्रतिबंधों के वह रूस का कुछ नहीं कर सका है। ऐसे में दुनिया में उसकी छवि एक कमजोर देश के तौर पर बनी है। ऐसे हालात में चीन यूक्रेन का उदाहरण देकर एशियाई देशों को धमकाने लगा है। अगर उसके बयान पर गौर कीजिए तो लगता है कि उसका इशारा साफ तौर पर भारत की ओर है।


क्वॉड से क्यों बौखलाया है चीन

चीन के उपविदेश मंत्री ली यूचेंग ने धमकी देते हुए कहा है कि अमेरिका की हिंद प्रशांत नीति और क्वॉड जैसे समूहों का बनना उसी तरह से खतरनाक है जैसे यूरोप में नाटो का विस्तार रहा है। उन्होंने यह भी कह दिया कि अमेरिका की नीति एशिया को नरक में ढकेल सकती है। चीन ने क्वॉड की आलोचना ऐसे समय में की है जब इस समूह की कुछ दिन पहले हुई बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शामिल हुए थे।

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क्वॉड समूह में भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं। यह समूह हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के प्रभाव को कड़ी चुनौती दे रहा है। इसका मकसद समुद्री रास्तों पर व्यापार में आसानी के साथ शक्ति संतुलन साधने पर भी है। अमेरिका हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन को काउंटर करने के लिए भारत की बड़ी भूमिका चाहता है। यही वजह है कि जैसे ही मौका मिला, चीन ने भारत को संदेश देने की कोशिश की है।


क्या कहते हैं एक्सपर्ट

ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन के रिसर्च फेलो परजन्य भट्ट कहते हैं कि अगर इस हालात में चीन की फौज कोई हरकत करती है तो भारत कूटनीतिक और सैन्य दोनों तरीके से एकदम अकेला रहेगा। उन्होंने कहा कि अमेरिका इस समय रूस के साथ किसी तरह के फौजी टकराव में उलझना नहीं चाहता। अमेरिका ही नहीं, नाटो के बाकी सदस्य देश भी रूस से सीधे तौर पर उलझने से कतरा रहे हैं।


यही वजह है कि चीन को हालात का अंदाजा हो गया है। रूस के हमले से पहले का दौर याद कीजिए। अमेरिका समेत नाटो संगठन रूस को आगाह करते हुए बयान जारी करते थे। ऐसा लगता था कि यूक्रेन में रूस घुसा तो अमेरिका करारा जवाब देगा। यूक्रेन भले ही नाटो का सदस्य नहीं पर उसे इस गुट में लाने की कोशिशें तो चल ही रही थीं, फिर भी अमेरिका ने आर्थिक मदद और कुछ मिसाइल हथियार देकर यूक्रेन को उसके हाल पर छोड़ दिया। उसके बाद नाटो कहने लगा कि रूस ने अगर हमारे किसी सदस्य देश पर आक्रामक रुख अपनाया तो मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा। यानी ज्यादा कुछ हवा-हवाई ही रहा।

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परन्जय भट्ट अपने लेख में कहते हैं कि यूक्रेन संकट चीन के लिए अवसर लेकर आया है। चीन रूस के साथ खड़ा दिख रहा है। उसने रूस की सैन्य कार्रवाई को आक्रमण नहीं कहा है। यूएन में वोटिंग से भी वह गैर-गाजिर रहा। इससे रूस चीन के करीब आ गया है। वह कहते हैं कि भारत को चौकन्ना रहना होगा।


क्या नाटो और क्वॉड की तुलना हो सकती है?

रक्षा विशेषज्ञ अश्विनी सिवाच ने एक टीवी चैनल से बातचीत में कहा कि चीन की तरफ से नाटो और क्वॉड की बहुत ही गलत तुलना की गई है। नाटो एक उद्देश्य के लिए बना था, जो पर्पस रहा ही नहीं। पूर्व की तरफ नाटो का विस्तार दुर्भाग्यपूर्ण था और जो रूस ने किया उसने अपने सुरक्षा के लिए किया। जबकि क्वॉड चीन की विस्तारवादी गतिविधियों के मद्देनजर बना है। हिंद-प्रशांत, दक्षिण चीन सागर और पूर्वी चीन सागर में चीन की दादागीरी को रोकने के लिए क्वॉड बना है। नाटो से इसकी कतई तुलना नहीं हो सकती। यह कहीं न कहीं भारत को चेतावनी देने की कोशिश है कि आप अमेरिका के साथ बहुत नजदीकी बढ़ाए हुए हैं। जैसे अमेरिका और नाटो देशों ने यूक्रेन को छोड़ दिया, कहीं ऐसा न हो हिंद प्रशांत में आप क्वॉड मेंबर हैं और कुछ हो तो आप अकेले रह जाएं। सिवाच ने कहा कि लेकिन चीन की इस चेतावनी में कोई दम नहीं है। भारत को अपनी लड़ाई अपने दम पर लड़नी है और पूर्वी लद्दाख में उसने ऐसा ही किया है।

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चीन को तमाचा!

पूर्व राजदूत दीपक वोहरा ने कहा कि चीन के मिनिस्टर के कहने का मतलब यह है कि नाटो ने कोशिश की थी कि यूरोप में रूस के हितों को झटका दिया जाए और हुआ क्या? रूस ने यूक्रेन पर हमला कर दिया। क्वॉड चीन के हितों पर तमाचा मारने की कोशिश कर रहा है और इसका परिणाम हो सकता है कि चीन भी वैसा ही कुछ करे। ये उसका स्पष्ट मैसेज है। ये रेफरेंस ताइवान के लिए नहीं है। चीन चाहता है कि क्वॉड खत्म हो जाए। 2018 में चीन के विदेश मंत्री ने कहा था कि जिस तरह से समंदर के ऊपर झाग होती है, ये खत्म हो जाएगा। लेकिन इस समय चीन का बयान काफी महत्वपूर्ण हो जाता है

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